फलित ज्योतिष कोर्स | Predictive Astrology | भावतः भावम् सिद्धांत
फलित ज्योतिष कोर्स भावतः भावम् सिद्धांत
भावतः भावम् सिद्धांत से अभिप्राय आर्ष पद्धति से है इस पद्धति के अनुसार हमे जिस भाव के कारकत्व का विचार करना है उसे लग्न बना ले तथा वहाँ से उस भाव की गिनती करनी चाहिए
इस प्रकार यदि द्वितीय भाव के कारकत्व का विचार करना हो तो द्वितीय भाव को लग्न बनाकर वहाँ से द्वितीय भाव का भी विचार करे अतः द्वितीय से द्वितीय भाव तृतीय भाव है ।
मुख्य रूप से किसी भी भाव की shadow परछाई भावतः भावम् सिद्धांत है और उस भाव संबंधित सूक्ष्म विचार हेतु भावतः भावम् सिद्धांत लागू करना चाहिए इस प्रकार विभिन्न भावो के कारकत्व के लिए निम्नलिखित भावो को भी देखना चाहिए ।
भाव – भावतः भावम्
द्वितीय – द्वितीय से द्वितीय – तृतीय भाव
तृतीय – तृतीय से तृतीय – पंचम भाव
चतुर्थ – चतुर्थ से चतुर्थ – सप्तम भाव
पंचम – पंचम से पंचम – नवम भाव
षष्ठम – षष्ठम से षष्ठम – एकादश भाव
अष्टम – अष्टम से अष्टम – तृतीय भाव
नवम – नवम से नवम – पंचम भाव
दशम – दशम से दशम – सप्तम भाव
एकादश – एकादश से एकादश – नवम भाव
द्वादश – द्वादश से द्वादश – एकादश भाव
यहाँ लग्न का भावतः भावम् स्वयं लग्न ही होता है अतः लग्न इसीलिये स्यमं मे महत्वपूर्ण स्थान रखता है ।
फलित ज्योतिष कोर्स
नाम: एस्ट्रोबेलिफ एस्ट्रोलॉजी (Astrobelief Astrology)
ज्योतिष कोर्स: फलित ज्योतिष कोर्स, बेसिक ज्योतिष कोर्स
फीस: ११०००.रु
संपर्क: ९९६७७०८३५४ (9967708354)
वेबसाइट: www.astrobelief.com